दिवालिया होने की कगार पर पहुंची ये दो इंश्योरेंस कंपनी, अगर आपके पास है पॉलिसी तो तुरंत करें ये काम

नई दिल्‍ली. बीते दिनों प्राइवेट सेक्‍टर की दो बड़ी इंश्योरेंस कंपनियों पर कार्रवाई की गई है. इसके बाद इन कंपनियों से बीमा खरीदने वाले लोगों की चिंता बढ़ गई है. इन दोनों कंपनी में से एक अनिल अंबानी की स्‍वामित्‍व वाली रिलायंस हेल्‍थ इन्‍श्‍योरेन्‍स कंपनी (Reliance Health Insurance) और दूसरी अ‍वीवा लाइफ इन्‍श्‍योरेन्‍स (Aviva Life Insurance) है. बीते सोमवार को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्‍यूनल (NCLT) ने अवीवा के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू कर दी. एपीजे ट्रस्‍ट (Appejay Trust) ने अवीवा कंपनी पर लाइसेंस फीस, कार पार्किंग, मेंटेनेंस, सर्विस चार्ज और सर्विस टैक्‍स नहीं जमा करने का आरोप लगाया है. यह रकम करीब 27 लाख 67 हजार 203 रुपए है.


 


क्या है रिलायंस हेल्थ इन्श्योरेन्स का मामल?


वहीं, दूसरी तरफ रिलायंस हेल्‍थ इन्‍श्‍योरेन्‍स के मामले में इन्श्योरेन्स रेग्युलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDA) ने कंपनी को किसी भी प्रकार के इन्श्‍योरेन्‍स प्रोडक्‍ट्स (Insurance Product) बेचने पर रोक लगा दिया है. IRDA ने कहा है कि 15 नवंबर के बाद रिलायंस हेल्थ इन्श्योरेन्स कोई प्रोडक्ट नहीं बेच सकेगी. कंपनी को पॉलिसीहोल्डर्स (Policy Holders) की लायबीलिटी और वित्तीय एसेट (Financial Assets) को रिलायंस जनरल इन्श्योरेन्स के हाथों सौंपना होगा. कंपनी पर आरोप है कि वह अपने सॉल्वेन्सी मार्जिन (Solvency Margin) को मेन्टेन नहीं कर पाई है.


 


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पॉलिसीहोल्डर्स की चिंता बढ़ी

 


बता दें कि इन्श्योरेन्स कंपनियों को सॉल्वेन्सी मार्जिन 150 फीसदी के अनुपात में मेन्टेन करना अनिवार्य है. जून में 106 फीसदी के मुकाबले कंपनी का सॉल्वेन्सी मार्जिन बीते सितंबर माह में घटकर 63 फीसदी तक आ चुका था. रेग्युलेटर ने कंपनी को सॉल्वेन्सी जरूरतों को पूरा करने के लिए 30 सितंबर तक की मोहलत दी थी. लेकिन, कंपनी इस लक्ष्य को पूरा करने में नाकाम रही. ऐसे में इन दोनों कंपनियों के मौजूदा पॉलिसीधारकों की चिंता बढ़ गई है. क्या कंपनी पर होने वाली कार्रवाई से पॉलिसीधारकों की पॉलिसी पर क्या असर पड़ेगा? आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे हैं. सबसे पहले बात करते हैं कि कंपनी पर हुई इस र्कारवाई का अवीवा लाइफ इन्श्योरेन्स के पॉलिसीधारकों पर क्या असर पड़ेगा?



 


 


 


 

 


 



 


नहीं पड़ेगा अवीवा के पॉलिसीहोल्डर्स पर असर


आईबीसी द्वारा कार्रवाई के बाद कंपनी ने अपनी तरफ से जारी एक बयान में कहा है, 'अवीवा इंडिया का सॉलवेन्सी मार्जिन 300 फीसदी से अधिक है. मौजूदा मामला कंपनी और उसके वेंडर के बीच है जिसमें कंपनी कोर्ट इसका समाधान निकालने पर काम कर रही है.' कंपनी ने अपने बयान में आगे कहा कि अगर कंपनी द्वारा वेंडर को बकाया भुगतान करने का मामला उसके बैलेंस शीट पर आधारित है. इससे पॉलिसीहोल्डर्स पर कोई असर नहीं पड़ेगा.


 


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 रिलायंस के पॉलिसीहोल्डर्स को ध्यान देने की जरूरत

 


वहीं,​ रिलायंस हेल्थेकयर इन्श्योरेन्स के मामले में IRDA ने कहा है कि RHICL इस बात को सुनिश्चित करे कि लंबी अ​वधि में पॉलिसीहोल्डर्स पर इसका असर न पड़े. RGICL ने अपने बयान में कहा है कि इस मामले का असर पॉलिसीहोल्डर्स पर नहीं पड़ेगा. उन्हें उनकी पॉलिसी टर्म्स और कंडीशन के आधार पर फायदे मिलते रहेंगे. लाइवमिंट ने अपनी एक रिपोर्ट में एक ब्रोकरेज फर्म के हवाले से कहा है कि इस तरह के मामले में इन्श्योरर को अपना मर्जर प्लान IRDA के हवाले करना होता है. ऐसे में प्रोडक्ट आरजीआईसीएल (RGICL) से जुड़ जाएगा और इसके बाद केवल प्रोडक्ट नाम और कस्टमर सर्विस नंबर में बदलाव होता है, जिसके बारे में कंपनी ग्राहकों को सूचित करती है. पॉलिसीहोल्डर को अपनी तरफ से कुछ नहीं करना होता है.